Dhalti Shaam Shayari

दिन का समय बीतने के साथ जब शाम हो जाती है। शाम की खूबसूरती बहुत अच्छी होती है। लेकिन जैसे ही शाम ढलती हैं ढलती हुई शाम का मतलब सभी के लिए अलग होता हैं। ढलती हुई शाम के साथ हम अपनी बीती हुई यादों और अतीत में खो जातें हैं और शाम ढलते ही हमारा मन उदास होने लगता हैं। हमें किसी ख़ास के साथ बिताये हुए पल याद आ जातें हैं। हमारे दिल के दर्द को बयां करना हमारे लिए काफी मुश्किल होता हैं। ढलती हुई शाम ही हमें किसी के ख़ास होने का अहसास कराती हैं। हमे जिनसे मोहब्बत होती हैं शाम ढलने के साथ हमें उनके होने का एहसास होता हैं और उनकी यादें हमे तड़पाती हैं। ढलती हुई शाम हमें बीते हुए ख़ास पलों की यादें दे जाती हैं। जब हमे किसी से प्यार होता हैं तो हमे ऐसा लगता हैं की प्यार की शाम कभी न ढले और हम यूँ ही अपने प्यार के साथ खूबसूरत शाम बिता सकें। और जब हम तन्हा होते हैं तो ढलती हुई शाम ही हमारे गम में हमारा साथ देती हैं। हमारी दोस्त बन जाती हैं अगर आपको भी ढलती हुई शाम के साथ किसी ख़ास की याद आ जाती हैं और ढलती शाम आपको तन्हाई में किसी ख़ास के होने का एहसास कराती हैं तो इस पोस्ट में हमने आपके लिए Dhalti Shaam Shayari in Hindi, 2 Line Dhalti Sham Sad Shayari in Hindi, Dhalti Shaam Shayari for Lovers, ढलती शाम मोटिवेशनल शायरी का कलेक्शन प्रस्तुत किया हैं जिन्हे आप पढ़कर अपने दिल के दर्द को बयां कर सकतें हैं।

 

Dhalti Shaam Shayari in Hindi

Sad Dhalti Shaam Shayari

2 Line Dhalti Shaam Sad Shayari in Hindi

 

ख़ुशी के पल बीत जाते है पलक झपकते ही
ये गम की शामें इतनी धीरे क्यों ढलती है।

 

जिंदगी में आजकल बस तेरी ही कमी सी है..
आज फिर शाम ढले मेरी आंखों में नमी सी है.

 

जब रंग बदला आज ढलती हुई शाम ने
तो मुझे बदले हुए लोगो की बहोत याद आयी।

 

ये ढलती शाम हमें काटने को आती है अंदर ही अंदर चुभती जाती है
तेरी यादों से जुडी ये शाम हमें कतरा कतरा मिटाती जाती है।

 

ढल गई मेरी खुशिया भी इस ढलती शाम की तरह,
इस रात की तरह फिर मेरी ज़िन्दगी में अँधेरा हुआ।

 

तुम धीरे धीरे इतनी दूर चले गए.. जितनी
दूर सूरज चला जाता है शाम ढलते वक़्त।

 

कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते
किसी की आँख में रह कर सँवर गए होते

 

ढलती शाम सी खूबसूरत हो तुम
मगर शाम की ही तरह बहुत दूर हो तुम

 

रात के इंतज़ार में सुबह से मुलाकात हो गई,
शायद कल की वो शाम ढलना भूल गई

 

शाम ढले ये सोच के बैठे हम अपनी तस्वीर के पास
सारी ग़ज़लें बैठी होंगी अपने अपने मीर के पास

 

तेरे रुखसार पर ढले हैं मेरी शाम के किस्से,
खामोशी से माँगी हुई मोहब्बत की दुआ हो तुम

 

यूं तो देखी हैं और भी खूबसूरत चीजें हमने
मगर ढलती शाम सी किसी में बात कहां !!

 

शाम जो ढलना छोड़ दे तो
हर रात तेरी याद में हम जलना छोड़ दे।

 

शाम ढलते ही हर पंछी को घर लौट जाना पड़ता है,
कौन ख़ुशी से मरता है बस मर जाना पड़ता है।

 

बहुत देख चुका हूँ इस अंधेरे को मैं,
काश इस ढलती शाम के साथ मेरी ज़िन्दगी भी ढल जाए।

 

धीरे धीरे ये जो शाम ढलती जाती है, दिल को हमारे चीरे जाती है,
हम बैठे रहते हैं खामोश हो कर ये आंखें आसूं बहाती जाती है।

 

शाम ढलते ही तुझे याद करते रहे तेरे मिलन की फरियाद करते रहे..
ज़िन्दगी की दुआ दे गई वो,   ………. हम थे इसे बरबाद करते रहे..

 

वक्त ये बेवफाई से भरा मंजर दिल को दिखा गया..
शाम जब ढली तो आज मेरे दिल में भी सन्नाटा छा गया..

 

 


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Romantic Dhalti Shaam Love Shayari

Romantic Dhalti Shaam Shayari

 

काश ये शाम मोहब्बत की रुके ना
काश ये शाम कभी ढले ना
हो जाए आज दिल की सारी चाहते पूरी
और दिल की कोई चाहत बचे ना।

 

ढलती शाम का खुला एहसास है
मेरे दिल में तेरी जगह कुछ खास है
तू नहीं है यहाँ मालूम है मुझे पर
दिल ये कहता है तू यहीं मेरे पास है।

 

सुबह होती नही शाम ढलती नही
न ज़ाने क्या खूबी है आप में आपको
याद किए बिना खुशी मिलती नही

 

कभी कभी शाम ऐसे ढलती है,
जैसे घूंघट उतर रहा हो,
तुम्हारे सीने से उठता धुआँ,
हमारे दिल से गुज़र रहा हो।

 

 

Sunset Passing Evening Shayari

Dhalti Shaam Love Shayari

 

किसी ढलती हसीन शाम का आईना हो तुम
अँधेरी जिंदगी में रौशनी बिखेरता दीया हो तुम
तेरी मोहब्बत में बीत जाए ये उम्र खुदा करे
दिलबर मेरी ज़िंदगी का नाम दूसरा हो तुम

 

दिल से दिल की बस यही दुआ है,
आज फिर से हमको कुछ हुआ है,
शाम ढलते ही आती है याद आपकी,
लगता है प्यार आपसे ही हुआ है।

 

हर वक्त प्यार भरी
तेरी यादें लेकर आती है..
ढलती हुई ये शाम
तुम्हारा एहसास दिलाती है..

 

शाम ढलती जा रही थी, प्यार होते जा रहा था,
तुझमें और मुझमें बस थोड़ा फासला था,
अब दोनों को सिर्फ अपना अपना प्यार जताना था।

 

शाम ढलते ही चाहत की महफ़िल सजाऊँ तेरे लिए
चलने को दिल अपना राहों में बिछाऊँ तेरे लिए
मेरे हर लफ्ज़ पर है खुमार तेरी मोहब्बत का
महफ़िल महफ़िल गीत चाहत के सुनाऊँ तेरे लिए


 

ढलती शाम मोटिवेशनल शायरी

 

आज एक शाम ढल गई तो क्या हर्ज़ है,
कल फिर एक सूरज उगेगा तू देख लेना।

 

ये ढलती शाम किसी अंत की शुरुवात नहीं,
यह एक संगम हैं जो जीवन के हर रूप को दिखाता हैं।

 

“शाम सूरज को ढलना सिखाती है,
शमा परवाने को जलना सिखाती है,
गिरने वाले को होती तो है तकलीफ,
पर ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है

 


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