Shri Ganesh Mantra Status

देश भर मे गणेश चतुर्थी के दिन लोग घरों मे गणपति की स्थापना करते हैं और श्री गणेश मंत्र का जाप करके लोग अपने जीवन के कष्टों को दूर करने की कोशिश करते है | लोग 10  दिन के लिए घर में गणपति बप्पा को विराजमान करते हैं। अनंत चतुर्दशी के लिए गणपति को विदाई देकर उनका विसर्जन किया जाता है। महाराष्ट्र में यह ख़ास तौर पर मनाई जाती है, लेकिन अब गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, यूपी और आंध्रा प्रदेश में भी काफी धूम धाम से गणेश उत्सव मनाया जाता हैं। इस बार गणेश चतुर्थी 19 september 2023 को मनाया जाएगा।  पूजा के दिन ॐ गन गणपतये नमः का जाप करना शुभ माना जा रहा हैं।प्रसाद के रूप में लड्डू वितरण से भी गणपति देव प्रसन्न होते हैं। गणेश विसर्जन पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी 28 सितम्बर 2023 को हैं | इस दिन गणपति बप्पा को विदाई दी जाएगी।
गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर के लिए श्री गणेश हर तरह के मंत्र जिससे आपको जीवन मे रहे केवल सुख और शांति धूम धाम से मनाये गणेश चतुर्थी अपने परिवार और दोस्तों के साथ मंत्र का जाप करते हुए। सभी के साथ  फेसबुक, व्हाट्सप्प, स्टेटस पर शेयर करें ये मंत्र  जिससे मिले आपके करीबी लोगों को सुख और श्री गणेश मंत्र का फल मनोकामना, सुख समृद्धि, कलह निवारण, धन प्राप्ति से जुड़े मंत्र जिसे कर सकते हैं उपयोग गणेश चतुर्थी के दिन। गणपति बाप्पा मोरया।

 

Shri Ganesh Mantra

Shri Ganesh Mantra Status

 

॥ॐ गं गणपतये नमः॥

 

॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥

 

॥ॐ गजमुखाय नमः॥

 

॥ॐ लम्बोदराय नमः॥

 

॥ॐ वक्रतुण्डाय नमः॥

 

॥ॐ एकदन्ताय नमः॥

 

॥ॐ चतुर्होत्रै नमः॥

 

॥ॐ सर्वेश्वराय नमः॥

 

॥ॐ विघ्न नाशनाय नमः॥

 

॥ॐ गणाध्यक्षाय नमः॥

 

॥ॐ विकटाय नमः॥

 

ऊँ नमो भगवते गजाननाय .

 

॥ॐ विनायकाय नमः॥

 

॥ॐ कपिलाय नमः॥

 

॥ॐ गजकरणीकाय नमः॥

 

॥ॐ सुमुखाय नमः॥

 

॥ॐ सिद्धि विनायकाय नमः॥

 

॥गणपती बाप्पा मोरया, मंगलमुर्ती मोरया !!!

 

॥ॐ गण गणपतय नमो नमः! श्री सिद्धिविनायक नमो नमः! अस्त विनायक नमो नमः! गणपति बाप्पा मोरिया!”

 

॥ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश
ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति। मेरे दूर करो क्लेश।।

 

॥ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा ||

 

॥ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।

 

॥ॐ ग्लौं गन गणपतये नमः ||

 

॥पाशांकुशौ मोदकमेकदंतं करैर्दधानं कनकासनस्थम् ।
हारिद्रखंडप्रतिमं त्रिनेत्रं पीतांशुकं रात्रि गणेश मीडे ।।

 

॥गं क्षिप्रप्रसादनाय नम: ||

 

॥ॐ कराहतिध्वस्तसिन्धुसलिलाय नमः ॥

 

॥ॐ पूषदन्तभृते नमः ॥

 

॥ॐ उमाङ्गकेळिकुतुकिने नमः ॥

 

॥ॐ मुक्तिदाय नमः ॥

 

॥ॐ कुलपालकाय नमः ॥

 


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॥ॐ किरीटिने नमः ॥

 

॥ॐ कुण्डलिने नमः ॥

 

॥ॐ हारिणे नमः ॥

 

॥ॐ वनमालिने नमः ॥

 

॥ॐ मनोमयाय नमः ॥

 

॥ॐ वैमुख्यहतदृश्यश्रियै नमः ॥

 

॥ॐ पादाहत्याजितक्षितये नमः ॥

 

॥ॐ सद्योजाताय नमः ॥

 

॥ॐ स्वर्णभुजाय नमः ॥

 

॥ॐ मेखलिन नमः ॥

 

॥ॐ दुर्निमित्तहृते नमः ॥

 

॥ॐ दुस्स्वप्नहृते नमः ॥

 

॥ॐ प्रहसनाय नमः ॥

 

॥ॐ गुणिने नमः ॥

 

॥ॐ नादप्रतिष्ठिताय नमः ॥

 

॥ॐ सुरूपाय नमः ॥

 

॥ॐ सर्वनेत्राधिवासाय नमः ॥

 

ऊँ हीं श्रीं क्लीं गौं ग: श्रीन्महागणधिपतये नम:। ऊँ ।

 

ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

 

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

 

ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति: प्रचोदयात।।

 

वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा .

 


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