वृक्ष पेड़ों से संबंधित त्यौहार के नाम और उनका विवरण, महत्व

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार मान्यता है की जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष नहीं लगाता है, वह पुण्यात्मा नहीं होता है और कभी स्वर्ग के दर्शन नहीं करता। पेड़-पौधों की पूजा की परंपरा भारतीय संस्कृति में सदियों पुरानी है। जिसका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। संपूर्ण आयुर्वेद विज्ञान इसी पर आधारित है। पेड़ पौधो के बीच हमारे ऋषियों द्वारा धर्मग्रंथों की रचना ये दर्शाती है की वहां का शांत और सुरम्य वातावरण उन्हें उनके मन को एकाग्र रखने में सहायक होता था। और साथ ही वृक्षों द्वारा उनकी समस्त आवश्यकताओं की भी पूर्ति होती थी। जैसे कंद-मूल-फल उनकी क्षुधा शांत करने के साधन होते थे। वही फूलों पत्तियों वा पल्लववित बेलो के रस से वे स्याही और लकड़ी का कलम बनाकर वही उपलब्ध भोजपत्र पर अपनी रचनाएं लिखते थे
.पेड़ पौधो का प्राचीन काल में इतना महत्व था की वैदिक मंत्रों से वृक्षों और वनस्पतियों की पूजा की जाती थी। मंत्र जैसे – “औषधय: शांति वनस्पतय: शांति:” हिंदू धर्म और संस्कृति में स्वास्थ्यवर्धक और उपयोगी पेड़-पौधों का सम्मान और उनका पूजन करने की परंपरा सदैव से रही है। क्यूंकि वृक्षों के जीवन का उद्देश्य ही परोपकार है। वृक्ष अपने पत्ते, फूल और फल दूसरों के सुख के लिए देते है और अंत समय में अपना शरीर भी दूसरों की आवश्यकताओं के लिए समर्पित कर देते है।

 

वृक्ष पेड़ों से संबंधित त्यौहार के नाम और उनका विवरण, महत्व

Trees Related Festival Significance and Benefits


धार्मिक और औषधिये महत्व रखने वाले कुछ विशेष पेड़ इस प्रकार है :

 

 

1. तुलसी के पौधे का महत्त्व

तुलसी का हिंदू धर्म में प्रथम स्थान है। तुलसी ऐसा पौधा है जो वायुमंडल में लगातार ऑक्सीजन छोड़ता है। इसकी पत्तिया बीज, तना, जड़ और उसके आसपास की मिट्टी कई तरह की बीमारियों को दूर करने में सहायक होती है। धार्मिक अनुष्ठानो में भी प्रयुक्त चरणामृत में तुलसी दल का प्रयोग किया जाता है।माना जाता है की, प्रतिदिन तुलसी का 1 पत्ता खाते रहने से कभी भी जीवन में कैंसर नहीं होता और जिनके घरों में तुलसी का पौधा रहता है उनके घर घातक जीवाणुओं को तुलसी समाप्त कर देती है।

हिन्दू धर्म की मान्यता और पंचांग के अनुसार हर साल के कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी जी का विवाह भगवान श्रीहरी जिन्हे शालिग्राम भगवन भी कहा जाता है, से मनाया जाता हैं| इस दिन एकादशी का व्रत भी रखा जाता हैं| तुलसी का विवाह करने से पुण्य की प्राप्ति होती है|

 




2. जामुन वृक्ष का महत्त्व

जामुन वृक्ष की पूजा शरद पूर्णिमा के दिन की जाती है। और इसी दिन इस वृक्ष के नीचे बैठ कर खाना खाना भी बहुत शुभ समझा जाता है जामुन कई रोगों की रोकथाम में लाभदायक है, जैसे पेचिश, पथरी, हैजा, रक्त संबंध बीमारी, गठिया, कब्ज, शुगर आदि। जामुन की गुठली में ‘जंबोलीन’ ग्लूकोसाइट पाया जाता है जो स्टार्च को शर्करा में बदलने होने से रोकता है।

 


 

3. वटवृक्ष (बरगद) के पेड़ का महत्व और उसके गुण

इस वृक्ष की पवित्रता के बारे में रामचरित मानस में कहा गया है “तहं पुनि संभु समुझिपन आसन। बैठे वटतर, करि कमलासन।।भावार्थ”- अर्थात कई सगुण साधकों, ऋषियों यहां तक कि देवताओं ने भी वटवृक्ष में भगवान विष्णु की उपस्थिति के दर्शन किए हैं। वटवृक्ष या बरगद के पेड़ को धार्मिक दृष्टिकोण से कल्पवृक्ष माना जाता है। यह पेड़ विभिन्न औषधीय गुणों से युक्त विशालकाय और छायादार होता है। धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथो के अनुसार वटवृक्ष के नीचे ही सावित्री ने यमराज का सामना किया था और सत्यवान के पुनर्जीवन का वरदान मांगा था। आज भी यह दिन प्रतिवर्ष जेयष्ठ माह की अमावस्या के दिन सौभाग्यवती स्त्रियां वट सावित्री का व्रत कर अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती है।सदियों पुराने वटवृक्ष अक्षय वट को जो हिंदू तीर्थ प्रयागराज में स्थित है अमरत्व का वृक्ष कहा जाता है और मान्यता है कि यह वृक्ष आदि काल से धरती पर है और सृष्टि के अंत के बाद भी यह नष्ट नहीं होगा।हिंदू धर्मानुसार पांच वटवृक्षों का महत्व अधिक है। अक्षयवट, पंचवट, वंशीवट, गयावट और सिद्धवट के बारे में कहा जाता है कि इनकी प्राचीनता के बारे में कोई नहीं जानता। संसार में उक्त पांच वटों को पवित्र वट की श्रेणी में रखा गया है। प्रयाग में अक्षयवट, नासिक में पंचवट, वृंदावन में वंशीवट, गया में गयावट और उज्जैन में पवित्र सिद्धवट है।

 


 


4. पीपल का वृक्ष

हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि पीपल के वृक्ष की जड़ से लेकर पत्तियों तक तैंतीस कोटि देवताओं का वास होता है और इसलिए पीपल का वृक्ष प्रात: पूजनीय माना गया है। पीपल के वृक्ष के विषय में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि पीपल का वृक्ष ब्रह्म स्वरूप है।इसलिए लोग इसे देव मान कर इसकी पूजा करते है। मान्यता यह भी है की पीपल के वृक्ष के नीचे ही गौतम बुद्ध की तपस्या पूर्ण हुई थी। वर्तमान में भी वैज्ञानिकों द्वारा भी पीपल के वृक्ष के औषधीय गुणों को स्वीकारा गया है।

 



5. नीम का वृक्ष


नीम के वृक्ष पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता का निवास होता है, जो सारे दुखों को दूर कर देती है।आयुर्वेद में इसे ‘कृमि:हर:’ भी कहा जाता है। इसके पत्तों से ले कर छाल तक सभी तरह तरह के रोगों के कीटाणु नष्ट करने की शक्ति रखते है। इसकी कोपलों का सेवन करने से मन जाता है की शरीर में विष नहीं फैलता। त्वचा संबंधी बीमारियों में नीम की पत्तियों को उबाल कर उसके पानी से स्नान करना बहुत लाभदायक होता है।

 



6. केले का वृक्ष


केले के वृक्ष को भारतीय धार्मिक संस्कृति में अत्यधिक महत्व दिया जाता है । शुभ अवसरों पर जैसे- पूजा-पाठ विवाह आदि में मुख्य द्वार और मंडप को केले के पत्तों से सजाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि केले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है इसलिए भगवान जगन्नाथ को केले के पत्ते पर भोग लगाया जाता है। और माना जाता है की बृहस्पतिवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

 


 

7. आम के पेड़ का महत्व और उसके गुण


हमारे हिंदू धर्म में बिना आम की पत्तियों के त्योहार मनाना शुभ नहीं माना जाता तथा घर या पूजा स्थल के द्वार व दीवारों पर आम के पत्तों को लगाया जाता है। तथा जब भी कोई मांगलिक कार्य होते हैं तो धार्मिक पंडाल और मंडपों की सजावट के लिए भी आम के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। आम के वृक्ष की हजारों किस्में हैं और इसमें जो फल लगता है वह दुनियाभर में प्रसिद्ध है। आम के रस से कई प्रकार के रोग दूर होते हैं।

 


 


8. शमी वृक्ष


ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर ने ‘बृहतसंहिता’नामक ग्रंथ के ‘कुसुमलता’नाम के अध्याय में दी गई जानकारी के अनुसार उसमें शमी वृक्ष का उल्लेख मिलता है।विजयादशमी के दिन इसकी पूजा करने का विशेष महत्व है मान्यता है कि विजयदशमी के दिन इसकी पूजा करने से यह वृक्ष किसानों के लिए फसल पर आने वाली परेशानी की सूचना पहले ही दे देता है और किसान सूचना के कारण उस विपत्ति से अपने आप को बचा सकते हैं. यह भी मान्यता है कि शमी के वृक्ष की पूजा करने से शनिदेव की पीड़ा का भी समन होता है और उनकी कृपा मिलती है।

 



9. बिल्वपत्र या बेल का वृक्ष


भारत में इस दूसरे वृक्षों के समान ही इसे बहुत अधिक धार्मिक प्रमुखता दी जाती है. बिल्व वृक्ष भगवान शिव की अराधना का मुख्य अंग है।इसे मंदिरों के पास लगाया जाता है। गर्मी से बचने के लिए इस फल का शर्बत बड़ा ही लाभकारी होता है। इतना ही नहीं इस वृक्ष के फल का यह शर्बत कुपचन, आंखों की रोशनी में कमी, पेट में कीड़े और लू लगने जैसी समस्याओं में भी लाभ देता है ,मान्यता है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका था जिसकी बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, जिससे बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। यह माना जाता है कि बेल वृक्ष में देवी महालक्ष्मी का भी वास है। । ‘शिवपुराण’ में इसकी महिमा का उल्लेख किया गया है।

 



10. अशोक वृक्ष


हिन्दू धर्म में अशोक वृक्ष को बहुत ही पवित्र और लाभकारी माना जाता है। इसके पत्तो का धार्मिक कार्यों में प्रयोग किया जाता है।मान्यता है की ,अशोक वृक्ष घर में लगाने से या इसकी जड़ को शुभ मुहूर्त में धारण करने से मनुष्य को सभी शोकों से मुक्ति मिल जाती है। अशोक का वृक्ष कई शारीरिक विकार भी समाप्त करता है अशोक का वृक्ष हमेशा घर की उत्तर दिशा में लगाना चाहिए जिससे सकारात्मक ऊर्जा आती है । घर में अशोक के वृक्ष होने से सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहती है एवं अकाल मृत्यु नहीं होती और उसे अगले जन्म में पुण्य आत्मा होने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

 


 


11. नारियल का वृक्ष


हिन्दू धर्म में नारियल का बड़ा धार्मिक महत्व होता है। पूजा के दौरान नारियल पानी भरे कलश पर रखा जाता है और इसका प्रसाद भगवान को चढ़ाया जाता है। नारियल के पेड़ के सभी भाग काम में आते है। इस से घरों के दरवाज़े , फर्नीचर आदि बनाए जाते हैं। और पत्तों से पंखे, टोकरियां, चटाइयां आदि बनती हैं। इसकी जटा से भी रस्सी, चटाइयां थैले ,आदि बनते है । नारियल का तेल बहुत लोकप्रिय है इसके पानी में भी पोटेशियम अधिक मात्रा में होता है इसके गूदे का इस्तेमाल नाड़ियों की समस्या, में इस्तेमाल किया जाता है।

 


 


12. अनार


अनार के वृक्ष के फल की गिनती पूजा के दौरान आवश्यक पंच पवित्र फलों में की जाती है।मान्यता है कि यह सकारात्मक ऊर्जा को प्रवाहित करता है.अनार का प्रयोग करने से खून की मात्रा बढ़ती है। अपच, दस्त, पेचिश, दमा, खांसी, मुंह में दुर्गंध आदि रोगों में अनार लाभदायक होता है। इसके सेवन से शरीर में झुर्रियां या मांस का ढीलापन समाप्त हो जाता है और त्वचा सुंदर व चिकनी होती है। अनार का वृक्ष देखने में सुंदर होता है।

 


 


13. हरसिंगार का पेड़


इसे परिजात भी कहा जाता है. इसके सफेद फूल मनमोहक खुशबू लिए होते हैं इसका रहस्यमई महत्व है हरिवंश पुराण में इसका उल्लेख मिलता है मान्यता है कि यह पेड़ सीधा स्वर्ग से आया है इस पेड़ के फूल सिर्फ रात में खेलते हैं और सुबह होते ही झड़ जाते हैं. इसीलिए इसे रात की रानी भी कहा जाता है. पश्चिमी बंगाल का यह राजकीय फूल है तथा इसे मां दुर्गा और विष्णु जी पर समर्पित किया जाता है।

 


 

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यहाँ हम आपको उन पेड़ पोधो और फूलो की सूची दे रहे है. जिनसे आप जान सकते है की,विश्व के कई त्यौहार प्रकृति से कितनी गहराई से सम्बद्ध है –


गणेश पूजागुड़हल के फूल लाल फूल
रमज़ानपिलु का पेड़
चौथ पूजाआम का पेड़
गुरु पुरवरीठा का पेड़
कार्तिक पूजाआंवलातुलसी
जन्माष्टमीकदम् वृक्ष
बुराअमावस्याबरगद का पेड़
कावड़ यात्रा & शिव रत्रिबेल वृक्ष
भगवान बुद्धबोधि वृक्ष



वृक्ष हमारे जीवन और धरती के पर्यावरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वृक्ष से एक और जहां ऑक्सीजन का उत्पादन होता है तो दूसरी ओर यही वृक्ष धरती के प्रदूषण को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दरअसल, यह धरती के पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलन प्रदान करते हैं। हमारे पूर्वज भली-भांति परिचित थे कि मनुष्य आगे चलकर इन वृक्षों का अंधाधुंध दोहन करने लगेगा इसलिए उन्होंने वृक्षों को बचाने के लिए प्रत्येक वृक्ष का एक देवता नियुक्त किया और जगह-जगह पर प्रमुख वृक्षों के नीचे देवताओं की स्थापना की।

 

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