Munawwar Rana Shayari कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा तुम्हारे बाद किसी की तरफ़ नहीं देखा ये सोच कर कि तेरा इंतज़ार लाज़िम है तमाम उम्र घड़ी की तरफ़ नहीं देखा हमारा तीर कुछ भी हो निशाने तक पहुंचता है परिन्दा कोई मौसम हो ठिकाने तक पहुंचता है …
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